Saturday, March 6, 2010

हम पूछती हैं ये क्या होरहा है?



हम पूछा चाहती हैं कि क्या आजकल कोई शर्म धर्म बाकी है कि नही? हम सोचती हैं कि हमने जमाना समझते हुये कुछ ज्यादा ही छूट दे दी. हम साफ़ साफ़ बात करती हैं. मिथलेश बचुआ तो अभी बच्चा है. पर क्या तुम्हारी खोपडी पर पत्थर गिर गये हैं? जो सबको लडाने भिडाने का काम शुरु कर दिया?

हम साफ़ साफ़ बोले दे रही हैं कि अब हमसे सहन नही होगा...बस....अब बहुत हुआ. हम जो भी दोषी दिखेगा उसका लत्ता चोटी एक कर देंगी. शरीफ़ को घबराने की जरुरत नही है. पर बदमाशी करने वाले लोगों को अम्माजी अब छोडने वाली नही है. बस यह चेतावनी समझना और हम इस लिये यह पोस्ट लिख रही है कि अनूप शुक्ल ने हमारी टिप्पणी नही छापी.

अरे हम पूछती हैं कि क्या हम महिला नही है? हैं? मतलब ऊहां तुम्हारी पसंद की टिप्पणीयां ही छपेगी क्या? तो अब अम्माजी ने भी तुम्हारी पोल खोलने को यह ब्लाग बना लिया है.

अनूप शुक्ल ये बताओ कि ई मिथलेश बचुआ का तुमने कभी जिक्र तक नही किया और आज सिर्फ़ उसकी एक पोस्ट की चर्चा कर डाली और तुम्हारी आदत के मुताबिक बवाल खडा करवा दिया? तुमको इ सब मे बहुत मजा आता है ना?

ऊ बेचारे मिश्र जी ने बालक का बचाव किया तो तुम्हारी सेना को उंहा भेज कर हल्ला करवा दिया..अब लगता है शाश्त्री जी का नंबर भी आने ही वाला है.

और ई फ़तवा तक दिलवा डाला कि औरत औरत पर टिप्पणी करेगी और मर्द मर्द पर? अरे तो हम पूछती हैं कि क्या फ़िर औरत औरत से शादी करेगी और मर्द मर्द से? बेशर्म कहींके...शर्म आनी चाहिये तुमको.

अरे नामाकूल तुमको शर्म नही आती है क्या? हम पूछती हैं कि घर का बडका लोग समझा बुझा कर घर चलाते हैं और तुम इहां सबको लडवा रहे हो? कुछ तो शर्म करो.

तुमने हमारा टिप्पणी नाही छापा कोई बात नही. हम समझ लेंगी कि हमको अनूप नाम का .... नही था..नालायक ... होने से तो नही होना अच्छा.

पर अब ई समझ लिया जाये कि हम बहुत दिनों से तुम लोगों का तमाशा देख रही थी. अब नही देखा जायेगा. बस एक एक की चुटिया खींच कर अम्माजी सबको ठीक कर देगी. इसे वार्निंग समझा जाये.

तुम सबकी अम्माजी...अच्छों के लिये अच्छी और बुरों के लिये सबसे बुरी.