
हम पूछा चाहती हैं कि क्या आजकल कोई शर्म धर्म बाकी है कि नही? हम सोचती हैं कि हमने जमाना समझते हुये कुछ ज्यादा ही छूट दे दी. हम साफ़ साफ़ बात करती हैं. मिथलेश बचुआ तो अभी बच्चा है. पर क्या तुम्हारी खोपडी पर पत्थर गिर गये हैं? जो सबको लडाने भिडाने का काम शुरु कर दिया?
हम साफ़ साफ़ बोले दे रही हैं कि अब हमसे सहन नही होगा...बस....अब बहुत हुआ. हम जो भी दोषी दिखेगा उसका लत्ता चोटी एक कर देंगी. शरीफ़ को घबराने की जरुरत नही है. पर बदमाशी करने वाले लोगों को अम्माजी अब छोडने वाली नही है. बस यह चेतावनी समझना और हम इस लिये यह पोस्ट लिख रही है कि अनूप शुक्ल ने हमारी टिप्पणी नही छापी.
अरे हम पूछती हैं कि क्या हम महिला नही है? हैं? मतलब ऊहां तुम्हारी पसंद की टिप्पणीयां ही छपेगी क्या? तो अब अम्माजी ने भी तुम्हारी पोल खोलने को यह ब्लाग बना लिया है.
अनूप शुक्ल ये बताओ कि ई मिथलेश बचुआ का तुमने कभी जिक्र तक नही किया और आज सिर्फ़ उसकी एक पोस्ट की चर्चा कर डाली और तुम्हारी आदत के मुताबिक बवाल खडा करवा दिया? तुमको इ सब मे बहुत मजा आता है ना?
ऊ बेचारे मिश्र जी ने बालक का बचाव किया तो तुम्हारी सेना को उंहा भेज कर हल्ला करवा दिया..अब लगता है शाश्त्री जी का नंबर भी आने ही वाला है.
और ई फ़तवा तक दिलवा डाला कि औरत औरत पर टिप्पणी करेगी और मर्द मर्द पर? अरे तो हम पूछती हैं कि क्या फ़िर औरत औरत से शादी करेगी और मर्द मर्द से? बेशर्म कहींके...शर्म आनी चाहिये तुमको.
अरे नामाकूल तुमको शर्म नही आती है क्या? हम पूछती हैं कि घर का बडका लोग समझा बुझा कर घर चलाते हैं और तुम इहां सबको लडवा रहे हो? कुछ तो शर्म करो.
तुमने हमारा टिप्पणी नाही छापा कोई बात नही. हम समझ लेंगी कि हमको अनूप नाम का .... नही था..नालायक ... होने से तो नही होना अच्छा.
पर अब ई समझ लिया जाये कि हम बहुत दिनों से तुम लोगों का तमाशा देख रही थी. अब नही देखा जायेगा. बस एक एक की चुटिया खींच कर अम्माजी सबको ठीक कर देगी. इसे वार्निंग समझा जाये.
तुम सबकी अम्माजी...अच्छों के लिये अच्छी और बुरों के लिये सबसे बुरी.
ये आपकी टिप्पणी अनूप शुक्ल जी के द्वारा न छापने वाला मामला क्या है, हम नवागंतुकों को भी कुछ बताया जाये, काफ़ी मसालेदार मामला लगता है, कोई लिंक व्गैरह दिया जाता तो कुछ ज्ञान-चक्षु हमारे भी खुल जाते।
ReplyDeleteप्रणाम अम्मा जी...
ReplyDeleteआपकी उम्र कुछ ज्यादा नहीं लग रही.. ब्लॉग जगत में...
जय हो अम्माजी
ReplyDeleteआपका अवतरण हिन्दी ब्लॉग जगत में सुनामी बनकर धमाका मचाएगा। बुरे बुरों को धमकाएगा, अच्छों को गले लगाएगा। अम्मा जी की उम्र नहीं पूछी जाती सिद्धार्थ भैया आप तो सिर्फ हिन्दी ब्लॉग जगत से इनकी कुंडली मिलाकर बतलायें और निर्णय संगीतापुरी और उड़नतश्तरी और ताऊजी के पास भिजवायें।
पर अम्मा जी यह हिन्दी के रास्ते में अंग्रेजी बहुते बड़ी बाधा है इसे तो हटाइए जी।
दिल तो अम्मा है जी।
ारे ये कौन नयी अम्मा जी आ गयी मै तो खुद को ही अम्मा अम्मा कहे जा रही थी। लगता है खूब जमेगी।कोई तो आया साथ देने ।ये आज के बचुवे लडते बहुत हैं बस आप आ गयी तो सब ठीक हो जायेगा मगर एक भभकी मार कर ही चुप हो जाने से काम नही चलेगा\ जहाँ रोज लाठियाँ खडकती हूँ वहां एक धमकी से क्या होगा? जरा अगली धमाकेदार पोस्ट डालें । शुभकामनायें
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ReplyDeleteपाँय लाग्यूँ, अम्मा जी !
बच्चों पर दया बनाये रखना,
मुला यह तौ खुलासा करो के आप सास हौ के बहू ?
amma ji love u ............
ReplyDeleteu r a big nd right blast for men ..........
अम्मा जी को परणाम,
ReplyDeleteपहली बार दरसन हुआ है।
अब आगे कब होगा?
कब तक दरसन के लिए बैइठे रहने पड़ेगा।
दीजिये जरा घुमा के सबको :)
ReplyDeleteधमाकेदार!
ReplyDeleteधन्य हुए जो दर्शन पाये. अभिषेक कुछ निवेदन किये हैं आपसे. :)
ReplyDeleteअमर जी पूछत रहे कि आप सास हो कि बहू। का फरक पड़त है। सास हुईं तो कभी बहू रही ही होंगी। और बहू हुईं तो कभी न कभी सास जरूर बनेंगी। बहू की नहीं तो दामाद की। अम्मां जी आपके ब्लाग का नाम सास बहू है। मेरी अम्मां तो हैं पर सासू अम्मां नहीं हैं। सो मैं आपको सासू अम्मां मान लेता हूं। पांव लागूं। हां जी हम तो अपनी सासू अम्मां के पांव छूते रहें हैं।
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