Sunday, October 10, 2010

क्या वर्धा सम्मेलन में सिर्फ़ अपनों को ही रेवडी बांटी गई?

ए राजा बिटवा हमरे तीन सवालन का जवाब तो दे तनि


हां त बच्चा लोग आवो आवो...अम्माजी का बिलागवा पर तुम्हरा सबहिका स्वागत है।

हम आप सबसे कुछ सवाल पूछा चाहती हैं कि ....अगर तुम निष्पक्ष राय दे सकत हो तो अवश्य देवो अऊर अगर किसी का दर है त मन ही मन कुधते रहो अऊर उनको मजा लेने दो. हां त अब सवाल...

१.क्या वर्धा सम्मेलन मा सिर्फ़ अपने अपने वालों को रेवडियां बांटी हैं?

२. क्या आप मानते हैं कि इस मे घपला हुआ है?

३. भविष्य में इसमे पारदर्शिता आये..इसके लिये आप क्या सुझाव देना चाहेंगे?

आप पहले अऊर दूसरे सवाल का जवाब हां या ना में भी दे सकते हैं.

-तुम सबकी अम्माजी

13 comments:

  1. आदरणीय अम्मा जी
    रेवड़ी तो होती ही अपनों को बांटने के लिए है !! तो वर्धा सम्मलेन इससे अछूता कैसे रह सकता है !!

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  2. माताराम रेवड़ी तो अपनो को बांटने के लिए होती है .... आदमी रेवड़ी इसीलिए लेता है की वो अपनों को बांटे ...का पराये के लाने लेत है ....

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  3. माताराम जा कहावत तो आपने सुनी होगी .... अँधा बनते रेवड़ी चीन्ह चीन्ह कर देय .... और यह सत्य है की जब बांटने का समय आता है तो आदमी सिर्फ अपनों को ही बांटता है दूजे फिर उसे कहाँ दिखत हैं ... माई

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  4. jaya ho mata ji ki . mahendra mishra ji thik to kahte hai'n .

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  5. अम्मा जी मै ठहरा परदेशी, अब मुझे तो पता नही कि हमारे रोहतक की मशहुर रेवडिया लोग मुफ़त मे बांट रहे हे, ओर वो भी अपनो को...चलो कोई बात नही, जब हम बांटे गे तो सब से पहले अम्मा को ही रेवडिया देगे, कि अम्मा तुम बडी हो जिसे चाहो बांटॊ...

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  6. अम्मा जी, अगले माह रोहतक में रेवाड़ी की रेवड़ी खाने पहुंचना है।
    सुना है रेवाड़ी रेवड़ियाँ उम्दा मिलती हैं। राज भाटिया जी भी पहुंच रहे हैं रेवड़ियों के लालच में। हा हा हा
    आप भी पहुंचे। तारीख समय आने पर बता दी जाएगी।

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  7. हा हा हा ..यही सन्तोष है कि कुछ बँटा तो सही...

    वरना बँटे-बँटाए हुए लोगों से उम्मीद कम ही होती है कि वे किसी को कुछ बाँट पायेंगे... उनकी अपनी उदरपूर्ति हो जाये तो गनीमत है.........

    वैसे रेवड़ियाँ भी कौनसी सस्ती हैं आजकल जो अपनों को छोड़ कर अन्य को बांटी जाये ?

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  8. अम्मा जी आपके इस श्वेत पत्र का स्वागत है

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  9. सार्थक पोस्ट के लिए बधाई.........

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  10. बहुत से सम्मेलन हुए जहाँ रेवड़ियाँ बांटी गई और हमें बुलाया नहीं गया. हमारा अनुरोध है कि हमें भी रेवड़ियों का बहुत लालच है कृपया हमें भी बुलाएं.

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